पांडुकेश्वर का पौराणिक इतिहास: राजा पांडु की भूमि”

पांडुकेश्वर

उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित एक प्राचीन और धार्मिक स्थल है, जो बद्रीनाथ यात्रा के मार्ग पर आता है। यह स्थान समुद्र तल से लगभग 1829 मीटर (6000 फीट) की ऊंचाई पर स्थित है। पांडुकेश्वर का महत्व पौराणिक, धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टिकोण से है। इसे हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए विशेष आस्था का केंद्र माना जाता है।

पांडुकेश्वर का पौराणिक महत्व

पौराणिक कथाओं के अनुसार, पांडवों के पिता महाराज पांडु ने अपने वनवास के दौरान यहां भगवान शिव की तपस्या की थी। यह स्थान महाभारत काल से जुड़ा हुआ है और इसे पांडवों का तप स्थल माना जाता है।

मुख्य मंदिर

पांडुकेश्वर में दो प्रमुख मंदिर हैं:

  1. योग ध्यान बद्री मंदिर: यह सप्त बद्री में से एक है और भगवान विष्णु को समर्पित है।
  2. पांडवेश्वर मंदिर: यह भगवान शिव का प्राचीन मंदिर है और इसे महाराज पांडु द्वारा स्थापित किया गया माना जाता है।

पांडुकेश्वर में क्या देखें

  • योग ध्यान बद्री मंदिर
  • पांडवेश्वर शिव मंदिर
  • स्थानीय नदी अलकनंदा के किनारे का प्राकृतिक सौंदर्य।
  • हिमालय पर्वतों का मनोरम दृश्य।

पांडुकेश्वर तक कैसे पहुंचें

  • निकटतम हवाई अड्डा: देहरादून का जॉलीग्रांट एयरपोर्ट (लगभग 270 किमी)।
  • निकटतम रेलवे स्टेशन: हरिद्वार रेलवे स्टेशन (लगभग 260 किमी)।
  • सड़क मार्ग: पांडुकेश्वर राष्ट्रीय राजमार्ग 7 (ऋषिकेश-बद्रीनाथ हाईवे) पर स्थित है और देश के प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है।

पांडुकेश्वर का धार्मिक महत्व

यह स्थान बद्रीनाथ धाम और हेमकुंड साहिब यात्रा पर जाने वाले तीर्थयात्रियों के लिए एक मुख्य पड़ाव है। साथ ही, यहां आने वाले श्रद्धालु ध्यान, तप और पूजा के लिए शांति और आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त करते हैं।

यात्रा का सही समय

पांडुकेश्वर की यात्रा के लिए मई से अक्टूबर तक का समय सबसे उपयुक्त है, जब मौसम सुहावना रहता है और सड़कें खुली रहती हैं। सर्दियों में यहां भारी बर्फबारी के कारण आवागमन कठिन हो जाता है।

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